How Works the Water Mafia on Lucknow Railway Station



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कैसे काम करते है रेलवे प्लेटफ़ॉर्म के वाटर माफिया?

हम इस बात से तो अच्छी तरह वाकिफ़ हैं कि कुछ लोग मोटी कमाई के लिए कई किस्म के गैरक़ानूनी तरकीबों और अनैतिक तरीकों का इस्तेमाल करते है, तो लीजिये इनमे एक और तरीका शामिल कर लीजिये।
ये तरकीब गैरक़ानूनी है या नहीं हमें नहीं पता लेकिन तरीका अनैतिक ज़रूर है। हम बात कर रहे है यूपी की राजधानी लखनऊ के रेलवे स्टेशन की जिसके प्लेटफ़ॉर्म पर कुछ लोकल वेंडर ट्रेन के आने से पहले यहाँ लगे कोल्ड वाटर मशीन का तार निकाल देते हैं जिससे गर्मी के मौसम में यात्रियों को रेलवे द्वारा उपलब्ध किया जा रहा फ्री का ठंडा पानी न मिल सके और यात्री इन वेंडर्स से ठंडा पानी खरीदने पर मजबूर हो जाए। इन वेंडर्स को फ़्रॉड की काली दुनिया में "प्लेटफ़ॉर्म के वाटर माफिया" की उपाधि मिली है। ये वेंडर्स और इनके चमचे जानबूझ कर प्लेटफॉर्म पर लगे कोल्ड वाटर का तार निकरलने में उस्ताद है। जब कोई ट्रेन आने वाली होती है तो उसकी सूचना पहले से ही रेलवे द्वारा एनाउंस कर दी जाती है। बस उसी समय इन वाटर माफियाओं का गिरोह बड़ी ही सक्रियता से प्टेर्लफॉर्म पर लगे सभी कोल्ड मशीन का पीछे से तार निकालना शुरू कर देते है और यही नहीं मशीन में बचे ठन्डे पानी को भी ये लोग खाली कर लेते है ताकि ट्रेन से उतरने वाले यात्रियों को कहीं से ठंडा पानी न मिल सके। कड़कती धूप में यात्रियों को जब ठंडा पानी नहीं मिलता तो मजबूरन उन्हें इन वेंडर्स से बोतल पानी खरीदना पड़ता है। जहाँ एक ओर सभी धर्मों में प्यासे को पानी पिलाना सबसे पुण्य का काम माना जाता है वहीँ यह वाटर माफिया अपनी मोटी कमाई के चलते इस तरह के अनैतिक तरीकों को अपनाने से भी नहीं झिझकते। मजे की बात तो यह है कि रेलवे प्रशासन और रेलवे पुलिस को इस तरह से कार्यों की पूरी जानकारी होते हुए भी कोई एक्शन नहीं लिया जाता है। अब इसको मिलीभगत नहीं तो और क्या कहे? लखनऊ रेलवे स्टेशन के लगभग सभी प्लेटफॉर्म पर अनगिनत अव्यवस्था का भंडार लगा रहता है बावजूद इसके रेलवे स्टेशन इस पर ध्यान नहीं देता। इस तरह की धांदली का असर सीधा यात्रियों पर पड़ता है। 

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