Indian IPS Officer Amitabh Thakur Fighting for Justice



बीती 10 जुलाई 2015 को यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव द्वारा आईपीइस अधिकारी और समाजसेवक अमिताभ ठाकुर को फोन पर दी गई धमकी के बाद 11 जुलाई को अमिताभ ने थाना हजरतगंज में शिकायत कर एफआईआर दर्ज करानी चाही लेकिन मामला जब रसूखदार का है तो यूपी के थाने की पुलिस रिपोर्ट कैसे दर्ज कर सकती है? अपने ही डिपार्टमेंट से ना उम्मीद लौटे अमिताभ को अब जान का खतरा भी सता रहा था जिसके बाद उन्होंने न्यायपालिका का सहारा लेते हुए धारा 156(3) सीआरपीसी में सीजेएम लखनऊ के समक्ष वाद संख्या 1761/2015 दायर किया जिसमे सीजेएम ने 14 सितम्बर को एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए लेकिन इसके बाद भी थाने की पुलिस नदारद दिखी और वही अपना पुराना नुस्खा टाल-मटोल वाला अपनाते रही। हद तो तब हो गई जब थाने की पुलिस की ओर से दैनिक समाचारपत्रों में लगातार यह बयान दिया जाने लगा कि माननीय मुलायम सिंह जी ने जो कहा वह धमकी नहीं थी और इसमें किसी कार्यवाही की आवश्यकता नहीं है। क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि घर की मुर्गी छुरी देख कर कुकड़ू-कू कर रही हो? जी हाँ बिल्कुल यही हाल था थाने के जेम्सबांड का।  
 जब स्थिति प्रतिकूल होने लगी साथ ही थानों की पुलिस द्वारा खुलेआम न्यायपालिका का अपमान किया जाने लगा और सीजेएम लखनऊ के आदेशों के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं किया जा रहा था तो अमिताभ ने अपना व्यक्तिगत कष्ट व्यक्त करने के उद्देश्य से थाना हजरतगंज पर अनिश्चितकाल तक बैठने का निर्णय लिया और 01 अक्टूबर 2015 को थाना हजरतगंज के सामने बैठ गए। 

अनिश्चितकाल धरने पर अपनी पत्नी और सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर के साथ बैठते ही अमिताभ ठाकुर को एक चौंका देने वाली बात का पता लगा। सीजेएम लखनऊ द्वारा 14 सितम्बर को एफआईआर दर्ज करने के आदेश पर थानेदार विजयमल यादव ने 24 सितम्बर को ही इस प्रकरण को लेकर धारा 506 (जान से मारने की धमकी) के तहत रिपोर्ट दर्ज कर लिया था लेकिन इसकी जानकारी और प्रतिलिपि अमिताभ को तब तक नहीं दी गई जब तक वो विवश होकर धरने पर नहीं बैठे। यूपी में वास्तव में ऐसा लगता है मानो कैसा कानून और काहे का कानून, कानून की धज्जियाँ उड़ाते थानेदारों का शायद अकेले में एक-दूसरे से चाय-समोसे के साथ इसी विषय पर चर्चा होती होगा। अब जब एफआईआर दर्ज होने का पता अमिताभ को लग चुका है तो थानेदार साहब निष्पक्ष विवेचना करने का आश्वाशन दे रहे हैं। ऐसा लगता है मानों खुली आँखों से सपना दिखा रहे हो थानेदार। लेकिन अब तक की कार्यवाही ने पहले ही यह साफ़ कर दिया है की जांच में क्या नतीजा निकलने वाला है। 

ब्यूरो 
मीडिया टुडे 
लखनऊ 

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