समधियों के बीच में बढ़ रही दरार..... आरजेडी के रघुनाथ झा ने पार्टी में सम्मान न मिलने पर थामा सपा का हाथ।
लखनऊ - बिहार की राजनीति में जोड़-तोड़ का सिलसिला लगातार जारी है। आरजेडी से केन्द्रीय मंत्री रह चुके रघुनाथ झा ने थामा समाजवादी पार्टी का हाथ। बिहार से यूपी की राजधानी लखनऊ पहुंचे रघुनाथ झा को सपा के राष्ट्रीय महासचिव डाॅ0 राम गोपाल यादव ने दिलाई शपथ। राजधानी पहुंचे रघुनाथ झा ने सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव के साथ उनके आवास पर करीब तक दो घंटे तक बात चीत की जिसके बाद ही उन्होंने सपा में शामिल होने का फैसला लिया। माना जा रहा है कि रघुनाथ झा के सपा में शामिल होने से मुलायम के तीसरे मोर्चे को और भी मजबूती मिल सकती है।
बिहार में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियां अपनी कमर कसे हुए है। सभी पार्टी अपने आप को मजबूत करने के लिए जोड़-तोड़ का सिलसिला लगातार अपनाए हुए है। बिहार का चुनाव कुछ इस लिए भी रोमांचक और कांटे की टक्कर का बनता जा रहा है क्योंकि इस बार दो सम्बन्धि एक दूसरे के आमने-सामने खड़े है। बिहार राज्य में 15 सालों तक राज करने वाली लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल को बड़ी चुनौती देती उनके सम्बन्धी और यूपी की समाजवादी पार्टी के सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव में पहले तो जनता परिवार के नाम से महागठबंधन किया जाता है फिर आपसी मदभेद के चलते इस महागठबंधन में दरार आते देर नहीं लगती। अब रिश्तों में खटास इतनी बढ़ जाती है कि लालू यादव की पार्टी छोड़ उनकी पार्टी के पूर्व एमएलए और पूर्व केन्द्रीय मंत्री रह चुके रघुनाथ झा मुलायम सिंह यादव की सपा पार्टी में शामिल हो जाते है।
आरजेडी पार्टी के पूर्व केन्द्रीय मंत्री रघुनाथ झा अपने दो दर्जन समर्थकों के साथ आज मुलायम से मुलाकात करने उनके लखनऊ स्थित आवास पहुंचे। बिहार विधानसभा चुनाव की सीटों पर चुनाव लड़ने की रणनीति पर उनके बीच करीब दो घंटों तक बात-चीत हुई। जिसके बाद दोपहर में एक प्रेस कांफ्रेन्स कर सपा के राष्ट्रीय महासचिव डाॅ0 राम गोपाल यादव ने रघुनाथ झा को शपथ दिलाई। गुरूवार समाजवादी जनता दल, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी और संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी को मिलाकर तीसरा मोर्चा बनाया गया जिसे सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव बिहार विधानसभा चुनाव-2015 में उतारने के लिए तैयार है। सपा में शामिल हुए पूर्व आरजेडी नेता रघुनाथ झा ने बताया कि जिस लालू को मैंने सीएम बनाया, उसी ने मेरे साथ दगाबाजी की। उन्होंने कहा कि लोहिया के बाद अगर कोई लीडर है तो वो मुलायम हैं। मैंने मान-सम्मान नहीं मिलने के कारण ही इस पार्टी को नकारा है और सपा का दामन थामा है।
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