The Most Dangerous Gas Chamber In India..?




हम कितने नसीब वाले हैं कि हमारे देश-प्रदेश की राजधानी विश्व में सबसे ज्यादा प्रदूषित है। हम गैस चेंबर में रहने वाले दुनिया के सबसे मजबूत प्राणी हैं।

कृपया हैरान न हों। हम अपनी आदत से मजबूर हैं, सुधरने का सवाल ही नहीं उठता। ----------------------???

इन दिनों देश की राजधानी दिल्ली में बढे प्रदूषण का स्तर टीवी चैनलों पर काफी चर्चा में है। लेकिन देश की राजधानी से ज्यादा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बढे प्रदूषण को चर्चा का विषय क्यूँ नहीं बनाया जा रहा है?
चलिए, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल कम से कम कुछ मेहनत तो कर रहे हैं। नये नये तरीके निकाल रहे हैं। इस समय पूरी दिल्ली को केवल इसी काम पर लगाये हुए हैं कि किस तरह से प्रदूषण कंट्रोल किया जाए। शायद इसीलिए वे टीवी चैनलों पर मुख्य आकर्षण बने हुए हैं। लेकिन यूपी के मुखिया अखिलेश यादव अपनी राजधानी लखनऊ को बचाने के लिए क्या रणनीति बना रहे हैं?

प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वर्तमान समय में आबादी से करीब तीन गुना ज्यादा वाहन है, जगह जगह सड़कें खुदी पड़ी है, प्राइवेट कंस्ट्रक्शन का काम लगभग पूरे लखनऊ में चल रहा है जिससे सड़कों पर इतनी मिटटी बिखरी पड़ी रहती है जिसे यदि हवा में उड़ा दिया जाए तो किसी का भी दम आसानी से घुट सकता है, पेड़-पौधों को कोई भी सरकारी या प्राइवेट दबंग बिना किसी परमीशन के काट सकता है, दशकों पुराने डीजल-पेट्रोल इन्जेन वाहन बेख़ौफ़ सड़कों पर दौड़ रहे है, अनगिनत प्राइवेट लघु उद्योग है जो क्षमता से ज्यादा कार्बन फैला रहे है। यहाँ की आम जनता तो सबसे ज्यादा बिगड़ी हुई पब्लिक ट्रांसपोर्ट सर्विस की मार झेल रही है जो हर एक आम आदमी को अपने निजी वाहन पर चलने के लिए मजबूर कर देती है।

हाँ, इस बात को सपा सरकार की खुशकिस्मती समझिये कि उनका चुनाव चिन्ह साइकिल है और पार्टी साइकिल को बढ़ावा भी दे रही है जिसके लिए पूरे लखनऊ में साइकिल ट्रैक बनाये जा रहे हैं। वाहनों से होने वाले प्रदूषण को रोकने का और मानव शरीर को स्वस्थ रखने का सबसे बढ़िया तरीका है साइकिलिंग। लेकिन हम यूपी वाले हैं, जब तक तीन-चार मोटर वाहन चला कर अपनी शान-शौकत न दिखाए, तब तक सीना चौड़ा कहाँ होने वाला। ऐसा मैं नहीं कहता, बल्कि उन साइकिल ट्रैक्स पर पार्क की जा रही गाड़ियाँ खुद बयां करती हैं जहाँ नियमानुसार साइकिल चलनी चाहिए। इससे साफ ज़ाहिर है कि केवल साइकिल ट्रैक्स बना देने से काम नहीं चलने वाला बल्कि सप्ताह में कोई या कुछ दिन साइकिल से चलने का नियम-कानून भी बनाना ज़रूरी है। लोगों को इसके लिए बड़े स्तर पर प्रेरित करने की आवश्यकता है और उनको इसके फायदे भी दिखाये जाये। फ़िलहाल अभी तो केवल ठेकेदारों को ही इसके भरपूर फायदे मिल रहे हैं। भारत के आर्थिक रूप से सक्षम नागरिक बंद कमरे या जिम में बड़ी ही लगन से साइकिलिंग कर के अपनी बॉडी को फिट करते हैं लेकिन सड़क पर साइकिल चलाना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। फिर क्या होता है हमारी सोच को जब हम चीन, अमेरिका, फ़्रांस और दुनिया के अन्य बड़े देशों में उन विदेशियों को साइकिल चलाते देखते है जो रुपय, रुतबे और हैसियत में हमसे कहीं ज्यादा है। किसी ज़माने में सबसे ज्यादा हम साइकिल का इस्तेमाल करते थे लेकिन आज विदेशों में इसे बढ़ावा मिल रहा है।
लगता है देशी से ज्यादा अब विदेशी प्रदूषण और स्वक्ष वातावरण के बीच का फर्क समझ रहे है। लेकिन हम अब तक नहीं समझ पा रहे हैं कि क्यूँ वो भयानक बीमारियां जिनके नाम सुनते ही हम बचपन में डर जाते थे आज वो बीमारियां सर्दी-ज़ुकाम की तरह आम हो गई हैं।
पिछले एक दशक पहले सड़क पर पैदल चलना जितना आसान था आज उतना ही मुश्किल है। ताज़ी हवा में साँस लेने के लिए केवल सुबह पांच बजे तक का ही वक्त बचा है हमारे पास क्यूंकि इसके बाद से ही हवा में जहर घुलने का काम शुरू हो जाता है। वाहन हमारे जीवन को जितना आसान बनाते हैं वहीँ इनके दुरूपयोग से हमारा जीवन खतरे में भी पड़ सकता है और इस दुरूपयोग में सबसे ज्यादा सहयोग कर रही है व्हेकिल कंपनीज। सबसे पहले तो इन व्हेकिल कंपनीज पर सरकार अंकुश लगाये जो धड़ल्ले से जहर उगलने की मशीन बेच रही हैं। किसी ज़माने में टू व्हीलर या फोर व्हीलर खरीदना बहुत ही मुश्किल होता था। लेकिन आज के समय में मुनाफाखोर कंपनीज एक बोरी चावल के साथ टू व्हीलर और एक महीने के राशन के दाम पर फोर व्हीलर तक फ्री दे सकती है जिससे आर्थिक रूप से सक्षम लोग मोबाइल की तरह वाहन खरीदते है। वहीं इन सब के बीच देश का एक तबका ऐसा भी है जिसे दो वक्त की रोटी भी बड़ी मुश्किल से नसीब होती है।

आइये देखते है कि दिल्ली सरकार राजधानी को गैस चेंबर बनने से बचाने के लिए क्या टॉप 17 उपाय सोच रही है और साथ ही कौन कौन सी युद्ध स्तरीय रणनीति पर अपनी मुहर लगाने की तैयारी में है।

1. सबसे पहले दिल्ली सरकार ने ऑटो के लिए एक एप लांच करने का निर्णय लिया जो कि एक जनवरी से 'पूछो' के नाम से दिल्ली वालों के लिए ऑटो बुलाने का काम करेगा।

2. दूसरा 2000 बसों में 50 फीसदी सीटों को महिलाओं के लिए रिजर्व करने की सोच रही है सरकार जिसे ऑटो और दूसरे ड्राइवर के साथ 24 घंटे चलाया जायेगा।

3. तीसरा यह कि 1 जनवरी से 15 जनवरी के बीच दिल्ली में मेट्रो पूरे दिन पीक फ्रिक्वेंसी पर चलेंगी।

 4. चौथा 25 दिसंबर से पहले दिल्ली की सभी सड़कों पर बस लेन मार्क की जाएगी और 1 जनवरी से 12000 बसें केवल इसी लेन में चलेंगी।

 5. 1 जनवरी से 15 जनवरी के बीच 6 हज़ार सीएनजी बसें किराये पर लेकर चलाई जायेगी।

6. ओड एंड इवन कार की नीति जो कि सबसे बड़ी नीति है दिल्ली सरकार की जहाँ इसमें अकेली महिला को ओड एंड इवन नियम से मुक्ती दी गई है तो वहीं ये नियम सभी अधिकारी और मंत्री पर भी लागू होगा।

 7. एक बार फिर से दिल्ली के अन्दर शोर्ट टर्म्स के लिये ब्लु-लाइन बसे लाइ जा सकती है। लेकीन इस बार ये दिल्ली सरकार के अधीन काम करेगी।

 8. इसके अलावा दिल्ली सरकार कई बड़े देशों की तरह रोड क्लीनिंग की अत्याधुनिक नीति को भी अपनाने की कवायद में है जिसके तहत 1अप्रिल 2016 से PWD के रास्तो की सफाइ झाडु से नहीं बल्कि विदेश से मंगाई जा रही वेक्युम क्लीनर से होगी। झाडु से डस्ट सड़क के किनारों पर इकठ्ठा कर दी जाती है और वाहन या तेज़ हवा चलने पर फिर से वह रास्ते पर आ जाती है।

9. प्रदूषण का सबसे बड़ा प्रतिरोधक पर्यावरण है। इस लिहाज़ से फुटपाथ की मिट्टी को दबाने के लिये 1 जनवरी से रास्तों के दोनो ओर घास उगाई जायेगी।

10. कूड़ा जलाने से भारी मात्रा में प्रदूषण होता है। ऐसे अवैध रूप से प्रदूषण फ़ैलाने वालों की फोटो खींच कर दिल्ली की जनता इसे मोबाइल एप के माध्यम से सरकार को भेज सकती है जिसके बाद ऐसे लोगों के विरुद्ध तुरंत एकशन लिया जायेगा।

11.उसी एप से दिल्ली की जनता प्रदूषण फैलाने वाले उन व्हीकल की भी फोटो खींच कर सरकार को भेज सकती है। ऐसे व्हीकल को तुरंत सीज किया जायेगा। इस प्रकार दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाने में दिल्ली की जागरूक जनता की भागीदारी भी ज़रूरी है।

12. दो थर्मल पावर स्टेशन बंद किये जायेंगे जो ज्यादा प्रदूषण और कम बिजली उत्पादन कर रहे है। उसके बदले उतनी बिजली की कमी दूसरे माध्यमो से पूरी की जायेगी।

13. अभी ट्रक की एन्ट्री रात को 9 बजे से है जिससे ट्राफिक जाम की समस्या काफी बढ़ जाती है। अब ट्रक की एन्ट्री देर रात 11 बजे से की जायेगी।

14. दो महीने में ही 600-700 PUC सर्टीफीकेट देने वाले पेट्रोल पंप को ऑनलाइन करके सेन्ट्रल सर्वर से जोड़ दिया जायेगा। इससे कोइ गलत सर्टीफीकेट नहीं निकलवा पायेगा।

15. दिल्ली के सभी चेकपोस्ट और एन्ट्री प्वाईन्ट पर वाहनों से निकलते प्रदूषण को मापने की मशीने लगाई जाएँगी। प्रदूषण फैलाने वाले ट्रकों पर भारी जुर्माना लगेगा।

16. इन्टरनेशनल स्टैण्डर्ड यूरो-6 को आने वाले वर्ष 2017 से फौलो किया जायेगा।

17. मैट्रो की तरह जमीन से उपर केवल बस चलाने के लिये पूरी दिल्ली में कोरीडोर बनाया जायेगा।

तो यह है दिल्ली सरकार के टॉप 17 उपाय। क्या यूपी की अखिलेश सरकार भी कुछ इस तरह के उपाय सोच रही है? आंकड़ों से तो पता चलता है कि दिल्ली से ज्यादा प्रदूषण यूपी की राजधानी लखनऊ में है और हो भी क्यूँ न जब राजधानी के चारबाग रेलवे स्टेशन के अन्दर और बाहर करीब 7-8 जगहें आपको ऐसी मिल जाएँगी जहाँ से गुज़रते वक्त आपको अपने नाक पर रुमाल रखना ही पड़ता है। जबकि यहाँ से हजारों लोग प्रतिदिन गुज़रते हैं। यह जगहें हैं सड़क के किनारे, पैदल ब्रिज की सीढियां, मेट्रो के निर्माणाधीन और सार्वजानिक स्थल जिन्हें पूरी तरह से मूत्रालय बना दिया गया है और ऑक्सीजन में घुलती इसकी बदबू किसी का भी जी मितला सकती है। इसके अलावा प्राइवेट ऑटो और वाहनों की तो पूछिये नहीं, किस कदर यह काला ज़हर हवा में उड़ाते हैं। यदि आपको विश्वास न हो तो आप खुद इस जगह का निरीक्षण कर सकते है। जब राजधानी के सेन्ट्रल इलाके का यह हाल है तो बाकि का क्या होगा? अब भी गहरी नींद में सोती यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट जगाती है या हाईकोर्ट, यह आने वाले वक्त में हमें ज़रूर देखने को मिलेगा।

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