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क्यूँ हुआ शिवसेना का महाराष्ट्र से यूपी की तरफ पलायन?
क्या देश का माहौल वास्तव में ख़राब हो रहा है?
लखनऊ। महाराष्ट्र से यूपी-बिहार के लोगों को खदेड़नेवाली पार्टी शिव सेना अब यूपी में अपने कदम ज़माने की कोशिश कर रही है। आश्चर्य की बात तो यह है कि यूपी में इस पार्टी की स्थापना के विरुद्ध न तो किसी प्रकार का कोई विरोध किया गया और न ही किसी प्रकार के सवाल उठाये गए। बल्कि महाराष्ट्र में लात-जूता खाने वाले यूपी के बाशिंदों ने हाथ जोड़ कर पार्टी का स्वागत किया। शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे से लेकर राज और उद्धव ठाकरे ने यूपी-बिहार के लोगों के लिए अनगिनत अपमानजनक अपशब्दों का इस्तेमाल किया है। भारत को दो भागों में बांटने वाले महाराष्ट्र में केवल शिव सेना पार्टी के चलते वहां बसने वाले यूपी-बिहार के लोगों का जीवन आज भी कठिनाइयों से गुज़र रहा है। अभी हाल ही में आपने सुना होगा कि महाराष्ट्र में वही ऑटो चालक ऑटो रिक्शा चला सकेंगे जिन्हें मराठी आती है, इसका सीधा सा मतलब यह है कि यूपी-बिहार के लोग वापस लौट जाओ। महाराष्ट्र में आये दिन शिवसेना यूपी-बिहार के खिलाफ कोई न कोई बवाल करती रहती है, फिर यूपी में अपनी पार्टी स्थापित करने के पीछे शिव सेना का क्या मकसद हो सकता है?
क्या ठाकरे परिवार और उनके अनुयाई यूपी में अपना कब्ज़ा कर यहाँ के मूल निवासी को अपने ही जन्मस्थान से किसी और प्रदेश में खदेड़ना चाहते हैं? क्या भारत को बाँट कर हिंदी-मराठी बोलने वाले दो देश बनाना चाहते हैं? या फिर देश में जिस तरह का माहौल बन रहा है जहाँ दादरी जैसी शर्मनाक घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है, पत्रकारों की हत्याएं हो रही हैं, साहित्यकारों को गोली मारी जा रही है, दलित के बच्चों को जिंदा जलाया जा रहा है, कलाकारों पर देशद्रोह का गंभीर आरोप लगाया जा रहा है, बीजेपी समर्थक दलों द्वारा जमकर उत्पात मचाया जा रहा है इसके बावजूद बीजेपी और उसकी सहयोगी शिवसेना सहित सभी समर्थक पार्टी इन घटनाओं का समर्थन करती है और वो भी केवल इसलिए कि इन सभी घटनाओं में मुख्य रूप से तार बीजेपी या उसके समर्थकों से जुड़े हैं।
क्या हो रहा है इस देश में? आखिर क्यूँ इस देश की युवा पीड़ी केवल अपने राजनीतिक कैरियर को चमकाने और धार्मिक खून के उबाल में आकर देश का माहौल बिगाड़ने पर तुली है। क्या इन्हें गुमराह कर केवल राजनीतिक लाभ उठाया जा रहा है? यदि हाँ तो कौन है वे लोग जो ऐसा कर रहे है? यह समझ पाना बहुत कठिन है। क्यूँ कि दुनिया में कोई ऐसा यंत्र नहीं बना जो मानव के दिल और दिमाग की सोच और रणनीति बता सके। लेकिन इस तरह के माहौल को देखते हुए इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि आने वाले दिनों में यदि यह सब रोका नहीं गया तो भारत की स्थिति और भी ख़राब होना संभव है।
क्या ठाकरे परिवार और उनके अनुयाई यूपी में अपना कब्ज़ा कर यहाँ के मूल निवासी को अपने ही जन्मस्थान से किसी और प्रदेश में खदेड़ना चाहते हैं? क्या भारत को बाँट कर हिंदी-मराठी बोलने वाले दो देश बनाना चाहते हैं? या फिर देश में जिस तरह का माहौल बन रहा है जहाँ दादरी जैसी शर्मनाक घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है, पत्रकारों की हत्याएं हो रही हैं, साहित्यकारों को गोली मारी जा रही है, दलित के बच्चों को जिंदा जलाया जा रहा है, कलाकारों पर देशद्रोह का गंभीर आरोप लगाया जा रहा है, बीजेपी समर्थक दलों द्वारा जमकर उत्पात मचाया जा रहा है इसके बावजूद बीजेपी और उसकी सहयोगी शिवसेना सहित सभी समर्थक पार्टी इन घटनाओं का समर्थन करती है और वो भी केवल इसलिए कि इन सभी घटनाओं में मुख्य रूप से तार बीजेपी या उसके समर्थकों से जुड़े हैं।
क्या हो रहा है इस देश में? आखिर क्यूँ इस देश की युवा पीड़ी केवल अपने राजनीतिक कैरियर को चमकाने और धार्मिक खून के उबाल में आकर देश का माहौल बिगाड़ने पर तुली है। क्या इन्हें गुमराह कर केवल राजनीतिक लाभ उठाया जा रहा है? यदि हाँ तो कौन है वे लोग जो ऐसा कर रहे है? यह समझ पाना बहुत कठिन है। क्यूँ कि दुनिया में कोई ऐसा यंत्र नहीं बना जो मानव के दिल और दिमाग की सोच और रणनीति बता सके। लेकिन इस तरह के माहौल को देखते हुए इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि आने वाले दिनों में यदि यह सब रोका नहीं गया तो भारत की स्थिति और भी ख़राब होना संभव है।
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