The Terrible Death on Mere Rumor - दरिंदगी और अन्धविश्वास का सबसे भयानक चेहरा, नोएडा
दरिंदगी और अन्धविश्वास का सबसे भयानक चेहरा.....
वेह्शी-दरिन्दों के रूप में गौ रक्षक की सैकड़ों की भीड़,
महज़ अफवाह पर मचाया मौत का तांडव,
मंदिर के लाऊडस्पीकर से फैलाई गई अफवाह,
जिन्हें चाचा, भैया कह कर खिलाया था सेंवई, उन्हीं ने दरिंदगी के साथ उतारा मौत के घाट,
क्या साजिश के तहत दिया घटना को अंजाम?
मानवता को शर्मशार करने वाली घटना....
नोएडा। दिल्ली से सटे यूपी के नोएडा इलाके में 30 सितम्बर को करीब 500 की दरिंदों के झुण्ड ने आधी रात को एक घर पर हमला कर दिया। पूरे परिवार को बेरहमी से मारा-पीटा। घर की औरतों बच्चों को भी नही बख्शा। घर के मुखिया 50 वर्षीय बुज़ुर्ग का सिर ईंटों से कुचल कर दिया दर्दनाक मौत। 22 साल के बेटे को भी ईंटों और लाठी-डंडों से बड़ी बेरहमी से मार मार कर किया अधमरा। उजाड़ दिया आशियाना, हर तरफ फैले हैं खून के निशान। और यह सब हुआ महज़ एक अफवाह के चलते जो बिना सोचे समझे फैलाई गई थी एक मंदिर के लाउडस्पीकर से। आखिर क्या है वो अफ्वाह...
इस परिवार पर गाय का मांस रखने और उसे खाने की अफवाह फैलाई गई थी, जिसके बाद बिना कुछ सोचे समझे और कानून की सहायेता लिए एक मंदिर के लाउडस्पीकर से यह अफवाह फैला दी गई। देखते ही देखते सैकड़ों की भीड़ इकठ्ठा हो गई और शुरू हुआ वहशी-दरिंदों का मौत का तांडव।
पुलिस ने बताया कि गांव में अफवाह फैली की मोहम्मद अखलाक और उनका परिवार घर में गाय का मांस रखता है और उसे खाता भी है। गांव में अफवाह फैली कि अखलाक बीफ लेकर जा रहा था, तभी कुत्ते उसके पीछे पड़ गए और उसने पॉलीथीन वहीं छोड़ दी। वहीं स्थानीय मंदिर से इस बात की अफवाह फैला दी गई कि अखलाक का परिवार गाय का मांस खाता है। जिसके बाद गुस्साई सैकड़ों की भीड़ ने अख़लाक़ के घर पर हमला कर मौत का तांडव मचाया।
एसएसपी किरण एस के मुताबिक इस मामले में मंदिर के पुजारी को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। वहीं दस अन्य लोगों के खिलाफ दंगे और हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। वहीं अखलाक के घर से बरामद मीट को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है।
उधर, अखलाक की बेटी साजिदा ने बताया कि गाय का मीट रखने का आरोप लगाकर करीब पांच सौ से ज्यादा गांववालों ने उनके पिता और भाई को बुरी तरह पीटा। इस हमले में अखलाक की मौत हो गई। वहीं बेटे दानिश की हालत गंभीर बताई जा रही है। साजिदा ने बताया कि उनके घर में गाय का मांस नहीं बल्कि मटन रखा हुआ था जो कि बकरीद के त्यौहार के समय
क़ुरबानी का है जिसे उसकी बड़ी बहन ने भेजा था। साजिदा के घर तो कुर्बानी भी नहीं हुई थी। उसने यह भी बताया कि जिन्हें वो अपने सगे चाचा की तरह मानती थी, जिन्हें बड़ा भाई समझ कर राखी बान्धती थी और जिन मोहल्ले वालों को अपना परिवार समझती थी उन्हीं लोगों का ऐसा वहशी-दरिंदगी भरा चेहरा देख कर वो सदमे में है। वहीं गिरफ्तारी के विरोध में गांववालों ने जमकर हंगामा किया और एक मोटरसाइकल में आग लगा दी। हालत पर काबू पाने के लिए पुलिस को गोली चलानी पड़ी, जिसमें एक युवक घायल हो गया।
जहाँ इस बात से सभी वाकिफ है कि बीते 25 सितम्बर को ईद-उल-अज़हा के त्युहार के मौके पर हिंदुस्तान के मुस्लमान बड़ी संख्या में करीब तीन दिन तक बकरे की क़ुरबानी कराते हैं वहीँ क़ुरबानी का हिस्सा हफ्ते भर तक मुस्लिम परिवारों के घरों में मिलना लाज़मी है, तो क्या इसी मौके का दुरूपयोग कर के और पूरे साजिश के साथ घटना को अंजाम दिया गया है? पुलिस मामले की जाँच में जुटी है। अब देखना यह है कि पुलिस अपनी जाँच में कितनी ईमानदारी बरतती है या दूसरी बड़ी घटनाओं की ही तरह इस घटना को भी ठन्डे बस्ते में डाल दिया जाएगा?
इस शर्मनाक घटना की देश के सभी बड़े लीडरों ने निंदा की है तो वहीँ उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने इसे मानवता को शर्मसार करने वाली घटना कहा है। खेद तो सभी व्यक्त कर रहे हैं लेकिन जिस परिवार का सब कुछ लुट गया है उसे इन्साफ दिलाने के लिए कोई सामने नहीं आ रहा। अख़लाक़ की मौत पर अब राजनीती भी शुरू हो चुकी है और वो दिन दूर नहीं कि इसी मुद्दे को बुलंद कर के हो सकता है कि कोई ऐसी पार्टी जो मुसलमानों के वोट 2017 के विधानसभा चुनाव तक बटोरने में भी कामयाब हो जाये जिस पार्टी ने पूर्व में कई सालों से स्वयं ही मुसलमानो का खून चूसा हो।
ब्यूरो
मीडिया टुडे
लखनऊ
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